IBN7 20th June 2013

Such inhuman Behavior.

http://www.youtube.com/watch?v=9yK_0ZhksBo&feature=youtu.be


Where are the media ? #AAJTAK #CNNIBN #NDTV #IBNLIVE #INDIATODAY #IBN7 #INDIATV
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pichle 3-4 dino se kafi tense tha apne friend swaroop pandey ko lekar, wo apni family k saath kedarnath gaya hua tha mujhe unki koi report nahi mil pa rahi thi, but avi-avi ibn7 news pe swaroop ko sahi salamat pa kar santusht hua......
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Just seen ibn7 report on people who came back from kedarnath. People n small childs are DIEING due to hunger !! FORCED TO THINK WHY CAN'T WE DROP BY HELICOPTERS PACKETS OF FOOD TO PEOPLE STUCK THERE N THINK TO PROTECT THEM ALIVE!! ........... :( :( we are having food here and many are deing to hunger over there :(((((
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http://khabar.ibnlive.in.com/news/101690/1
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sali kutti sarkar bharat di ..log rooo rhe ne apneya di halat buri hun karn ..bhukhe bethe ne log pllzzz koi ehnu share kro taki sarkar tk phunch ske eh nessg plzzz ibn7 lgao or dekho kaise roo rhe ne lokkk waheguru g mehar krooooooo pllzzzz
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Final:
India vs England on 23rd....
Who will Win the trophy?
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आज कल मीडिया अमित शाह जी के खिलाफ बहुत भोंक रही है इसलिए मैंने सोचा कि आपको इनके बारे में कुछ जानकारी दे दूँ..

अमित भाई शाह एक बड़े व्यापारी और संपन्न परिवार से आते हैं. जब 2002 के बाद मोदी जी लगभग अकेले से पड़ गए थे. ऐसे बुरे समय में भी अमित शाह और इनके पिता जी ने मोदी जी का साथ नहीं छोड़ा ..
अमित शाह के बारे में खान्ग्रेस की दलाल मीडिया सिर्फ एक बात बताती है कि वो सोहराबुद्दीन के encounter case में accused हैं ..ये उस समय गुजरात के गृह राज्य मंत्री थे जब ये encounter किया गया था. .सोहराबुद्दीन वही आतंकवादी है जिसके खेत से 100 से ज्यादा AK-56 राइफल्स मिली थीं. लेकिन ये इस देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे आतंकवादी को सालों तक जेल में रखकर करोड़ों रुपये की बर्बादी करना तो जायज़ ठहराया जाता है पर ऐसे आतंकवादी के एनकाउंटर करवाने पर अमित शाह जी को जेल में डाल दिया जाता है ..

अब मैं आपको वो बताती हूँ अमित शाह जी के बारे में जो बिकाऊ मीडिया कभी नहीं बताती..

अमित भाई इतने संपन्न परिवार से सम्बन्ध रखते हुए भी बहुत ही सादा जीवन जीने में विश्वास रखते हैं ..उनके घर में जा के आपको लगेगा ही नहीं कि आप किसी अमीर शख्स के घर आ गए हैं ..वो कहते हैं कि क्या ज़रूरत है ,सादा जीवन जीने में जो मज़ा है वो अमीरी में नहीं ..

इसके अलावा अब मैं वो कारण बताती हूँ जिसकी वजह से अमित भाई को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश (जहां से 80 MP चुन कर आते हैं) का प्रभारी बनाया गया है . दरअसल अमित शाह का जीवन जितना सादा है उनका दिमाग उतना ही तेज़.. वो चुनावी महाभारत के बहुत बड़े रणनीतिकार हैं.. किस सीट पर कितने % कौन सी जाति के वोटर्स रहते हैं, कौन यहाँ 1980s,1990s में जीता था, किस गणित ने अब तक सबसे ज़्यादा बाज़ी मारी है- ये सब अमित भाई को जुबानी याद रहता है.. अब UP जैसे राज्य में जहां जाति-आधारित राजनीति होती है और हर एक सीट का खेल अलग होता है, अमित शाह बहुत बड़ा कमाल दिखा सकते हैं.. दूसरा, वो उत्तर प्रदेश में राज्य स्तर के नेताओं द्वारा खराब और हराऊ candidates को टिकेट ''बेचे जाने'' की संभावना पर लगाम लगा के जिताऊ और योग्य candidates को आगे ले के आयेंगे.


अब ज़रा सोचिये कि भला 10 जनपथ के मीडिया के कुत्तों को क्यूँ मिर्ची नहीं लगेगी? मैंने लिखा था न कल IBN7 के बारे में ? वो हरामी आशुतोष तो कल शाम को भी अमित शाह को कोसने के लिए 1 घंटे की डिबेट ले कर बैठ गया था. उसको Chinese Premier की यात्रा में कोई दिलचस्पी नहीं थी ...अमित शाह को आगे लाने को वो 'उग्र हिंदुत्व' कहता है और जो बाकी पार्टियां मुल्लो के तलवे चाट-चाट कर राजनीति कर रही हैं इस पर बोलते हुए इस कुत्ते को मैंने कभी नहीं देखा. .बहुत ज़हरीला सांप है ये आशुतोष नाम का दलाल.. हिन्दुओं के नाम पर धब्बा ..


वैसे अमित शाह का जलवा ऐसा है कि इनको UP का प्रभारी बनाए जाने के 24 घंटे के अन्दर ही खान्ग्रेस ने UP के अपने 8 zonal प्रभारियों को हटा दिया. इस टीम में राहुल गांधी ने अपने सबसे विश्वासपात्र लोगों को रखा था. इतना ही नहीं इनमे से कई तो UPA में मंत्री भी हैं.

हम सब को गर्व होना चाहिए कि अमित भाई शाह खान्ग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए कमर कस कर आ गए हैं चुनावी युद्ध मे

"""" भगवत
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uttrakhand mein hazaro loog mar gaye aur mar rahe hai lekin news channels ki breaking news par india srilanka ka match chaya hua hai WTF

Wah re media tera kya kehna

~zubair khan
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Thodi der phele ibn7 me ajenda aa raha tha.. 8 baje ka show hai....show me k environment specialist the..naam yaad nahi....unhone jaise hi narendra modi ki tarif me kaha ki bhuj k bhukhamp k baad waha development environment k hisaab se hua hai....itna kahte hi anchor ne. Brk liya aur uske baad vo nahi aayi...samaj nahi aaya kyu hua aisa..n
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..ES SAMAY IBN7 PAR EK INSAN JO KEDARNATH SE JINDA LOTA HAI, WO RO RO KAR KAH RAHA HE, KAM SE KAM 50000 LOG FASE HUE HAI, UNKI MADAD KARO YA UN par bam gira do, esse jada dukh ki baat kya hogi, en sale bahuguna, rahul soniya ko koi parwah nahi. Amit kumar sharma jhansi
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ajj bda dukh hoya ibn7 te khabar sunn k live lashaan dikhayiaan ohne ne kayiaan de pariwar vichadd ge oh ro rhe c te mainu v rona a geya sunn waheguru g mehar krn :-(
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NEWS AT NINE NEWS HEADLINES:

Over 32 thousand people evacuated in disaster affected Uttarakhand; Rural development Ministry working on special package for re-constructing village roads and bridges .

Cabinet approves merging of 170 Centrally sponsored schemes into 66, for efficient monitoring and flexibility to states.
.
US supports India's inclusion as a permanent member of an expanded UN Security Council.

Posting its biggest single day fall in nearly two years, Sensex tumbles 526 points as global markets tank.

Rupee drops 87 paise,to an all time low of 59.57 against the dollar.

AND IN CRICKET:

Sri Lanka set a target of 182 for India in the Champions Trophy
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नितीश सरकार की गुंडादिली !!
एक तरफ सुशासन का दावा और दूसरी तरफ शासन और
प्रशासन की नजरों में फरार नवादा के बाहुबली जदयू
विधायक कौशल यादव कल न सिर्फ विधानसभा पहुंचे
बल्कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सरकार के विश्वास मत
के पक्ष में वोटिंग भी की |
राज्य में सुशासन का दावा करने वाले
मुख्यमंत्री प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अक्सर इन
अपराधियों की मदद लेते रहें है. अपनी ईमानदार
छवि को अक्सर कैश कराने वाले मुख्यमंत्री आज
अपनी सरकार बचाने की खातिर अपराधी कौशल
यादव की मदद लेने से भी नहीं हिचके |
गौरतलब है कि वर्ष 2006 में फर्जी बैंक ड्राफ्ट देकर बालू
का ठेका हासिल करने के आरोप में जिला प्रशासन ने
कौशल यादव सहित छह लोगों को गिरफ्तार
किया था.
फरार घोषित इस अपराधी कौशल यादव से
मुख्यमंत्री की करीबी का अंदाजा इसी बात से
लगाया जा सकता है कि अधिकार यात्रा के दौरान
गत 8 अक्तूबर को कौशल यादव के नवादा स्थित आवास
पर मुख्यमंत्री ठहरे थे |
# सवाल - आखिर अपराध मुक्त बिहार
का दावा कहाँ गया ? फरार अपराधी कौशल यादव ने
वोटिंग कैसे की और जब वोटिंग के दौरन वो मौजूद
था तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया।सवाल तो कई है पर इनका जवाब कौन दे!!
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चीन में धार्मिक विद्वेष-हिंसा फैलाने के जुर्म में 11 को सजा
बीजिंग। चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में धार्मिक विद्वेष और हिंसा भड़काने के जुर्म में 11 लोगों को सजा सुनाई गई है। चीन के कानून मंत्रालय के आधिकारिक समाचार पत्र लीगल डेली में प्रकाशित खबरों के अनुसार एहितैमु हेली को सबसे अधिक छह साल की कठोर सजा सुनाई गई है। उसे यह सजा इंटरनेट पर जेहादी और नस्लीय हिंसा फैलाने वाली सामग्री अपलोड करने के आरोप में दी गई है। इसके अतिरिक्त अन्य अभियुक्तों को लूटपाट और धार्मिक उन्माद भड़काने के आरोप में पांच साल की सजा सुनाई है।
खबर : IBN7
और भारत में धार्मिक विद्वेष फैलाने वालो को सरकार प्रोत्साहन देती है यहां तक की ऐसे लोग विधायक/सासंद तक बने बैठे है और कुछ इस आधार पर प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब देखते है …
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लाशों से चुराए जा रहे गहन !!!!!!!!!!

उत्तनराखंड में जिंदगी की कीमत
लगनी शुरू हो गई है। प्राइवेट
हेलीकॉप्टचर सेवा देने वाले वहां एक
आदमी को निकालने की कीमत 2 लाख
रुपये लगा रहे हैं। सरकारी मदद
का अता पता नहीं है,
लोगों को उम्मीलद
भी नहीं सरकारी मदद कब तक
पहुंचेगी। ऐसे में निजी एजेंसियां चलाने
जिंदगी की कीमत लगा रहे हैं।
वहां हालात कितने खराब हैं,
इसका अंदाजा इसी से
लगाया जा सकता है कि लाशों से गहने
चुराए जा रहे हैं,
घायलों को लूटा जा रहा है।
खाने के पैकेटों के लिये भी मारकाट
हो रही है। उत्तकराखंड गये 50
लोगों एक दल ने बताया कि उन्होंने 20
लाख रुपये जुटाकर जान बचाई। इन
लोगों ने निजी हेलीकॉप्टंर बुलाया और
तब जाकर सुरक्षित स्था नों पर पहुंचे।
अब सवाल ये है कि उत्तटराखंड में फंसे
जिन लोगों के पास इतना पैसा नहीं है
उन्हें क्या जिंदा रहने का अधिकार
नहीं है।
source -- IBN7
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देश

तालाबों पर घर, नदी किनारे मॉल...तभी तो है ये हालः सुनीता

आईबीएन-7

Posted on Jun 20, 2013 at 06:28pm IST

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नई दिल्ली। विकास की जो मानसिकता आज तक रही है, उसी के चलते उत्तराखंड को अभूतपूर्व आपदा से दो चार होना पड़ रहा है। ये कहना है सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की डायरेक्टर सुनीता नारायण का। पर्यावरण के लिए लंबे समय से काम कर रहीं सुनीता का कहना है कि जून के महीने में बाढ़ आना बेहद चौंकाने वाला है। प्रकृति से खिलवाड़ इसका एक बड़ा कारण है। आज धड़ल्ले से तालाबों के ऊपर घर बनाए जा रहे हैं। नदियों के किनारों पर मॉल खड़े किए जा रहे हैं। इस त्रासदी का एक और बड़ा कारण हाइड्रोपावर है।

सुनीता का कहना है कि अब समय आ गया है कि इस गंभीर विषय पर सरकार सोचे। प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए बांध जरूरी हैं, लेकिन ये बांध कहां बनें इस पर सही फैसला लेना होगा। कुदरत का जो खेल है उसको मनुष्य ने ही अपनी हरकतों से बिगाड़ा है। विकास और पर्यावरण के बीच समन्वय बनाकर चलना होगा।

तालाबों पर घर, नदी किनारे मॉल...तभी तो है ये हालः सुनीता

उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में 50 मिलीमीटर की बारिश में दिल्ली एयरपोर्ट का टर्मिनल डूब सकता है तो फिर 200 मिलीमीटर की बारिश में हिमालय में कुदरत का कहर लाजिमी है। उत्तराखंड में टूरिज्म का हब है लेकिन ये सोचना होगा कि किस तरह से धर्म टूरिज्म होना चाहिए। आखिर में उन्होंने कहा कि कुदरत के इस कहर से निपटने का एकमात्र उपाय अच्छी प्लानिंग है।
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Hats. Off to armed forces plz see ibn7, a small glims of what our armed forces are doing... JAI hind.
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IBN7 ke logo se mera anurodh h ki wo logo ko jgaye abhi bhut kuch hona baaki h,ye to ek teller h
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@ArvindKejriwal: So, what did we achieve from Justice Verma commission. Ye saari paartiyaan ham aam logon ko bewakoof banati rehti hain.
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IBN7
सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश, बचाव कार्य में ज्यादा हेलीकॉप्टर लगाए जाएं
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abhi ibn7 pe ek mahesh naam ke bande ne bataya hai ki ''mere paas jodhpur ke beniwal parivaar ki information hai..''

Gupt kashi and kedarnath area me Meri family ke log bhi gaayab hai...
Jodhpur beniwal pariwar....
Yeshpal singh ji beniwal,
Ratan devi,
Jairam ji beniwal,
Geeta beniwal,
Chota devi beniwal,
Gaytri devi beniwal.
Ramkaran beniwal.
Last location ''gupt kashi'' at 16/06/2013.
And Ramkaran is admitted in medical camp at gupt kashi... Lekin ramkaran ji se baat nahi
ho pa rahi hai... Baaki ke logo ka kuch bhi pata nahi hai...
Please help....
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भारत की दलाल न्यूज़ मिडिया से एक विनम्र अपील-

न्यूज़ मीडिया के गुलाम और गद्दार मालोकों से अपील है कि अपने बेवकूफ पत्रकारों, रिपोर्टरों को समझायें की उत्तराखंड में बचाव दल, भारतीय सेना और राहत कार्य में लगे हुए लोगों को अपने अपने काम करने दे, उनको डिस्टर्ब न करें.....उनको बातो में ना लगाये, आपकी बकवास में बर्बाद किये गए समय के सदुपयोग से शायद किसी की जान बच सकती है !!

अपना केमरा और माइक साइड में रखें और खुद भी सहयोग करें...........

देश को और लोगों को बचाएँ........नालायकी न दिखाएं.......!!!

...$#@NK...
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क्या सरकार मौत का आंकड़ा छिपा रही है?

उत्तराखंड में भारी तबाही के बाद भी सरकार सिर्फ 71 लोगों की मौत की बात कह रही है लेकिन तबाही के समय केदारनाथ में मौजूद चश्मदीदों ने संख्या हजारों में बताई है. बिजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 6 हजार की मौत का अनुमान लगाया है तो बारिश और बाढ़ की तबाही के समय केदारनाथ में मौजूद रहे बिहार के पूर्व मंत्री अश्वनी चौबे ने 15-20 हजार मौत की आशंका जताई है. चौबे राज्य सरकार के कामकाज की आलोचना करते हुए उसे बर्खास्त करने की मांग की है. एक अन्य चश्मदीद बबिता मोदी का कहना है कि दो से तीन हज़ार लोग मारे गए हैं.

अपनी राय पोस्ट करने के साथ ही अगर बहस में शामिल होना चाहते हैं तो सवाल के साथ फोन नंबर भी भेजें.
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (भगवा आतंकवादी इन्डियन गवर्मेँट के हिसाब से) उत्तराखंड में आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में अपनी ओर से सहायता पहुचा रहे है , स्वयं भूखे प्यासे रहकर अपनी जान पर खेल कर दूसरों की मदद कर रहे है , बिना यह देखे की कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान , जहाँ जाने से नेता और जन संस्थाए अपने पजामे में मूत रहे है वंहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक पहुच कर राहत कार्यों में मदद कर रहे है , बाबजूद इसके मिडिया में इसका कोई जिक्र नहीं है || बिकाऊ मीडिया नहीं दिखाती तों क्या हुआ..... सोसल मीडिया के माध्यम से लोगों को बताइये..ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये!
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अश्विनी चौबे का कहना है कि मंदिर के पास शव तैर रहे थे और कई लोगों ने उनके सामने दम तोड़ा.
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Thanx IBN7 jo continue uttarakhand apda ko dikha rahi hae
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गुजरात दंगो के लिए बीजेपी और मोदी को जिम्मेदार मानने वाले ...!!..

उतराखंड त्रासदी के लिए किसको जिम्मेदार मानते है ...??.
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Laturchya prajaktache kutumb Gaurikund yethe adkalele aahe kahihi sampark hot nahiye..aamhi sarvajan prajkatachya parivarasamvet aahot..source..Ibn7..
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सरकारी सूत्रों का दावा-केदारनाथ यात्रा फिर शुरू करने से दो से तीन साल का वक्त लग सकता है ~IBN7

मित्रो ,

यह है कांग्रेस सर्कार का एक और नई उप्लाब्दी ... अगर कोई मज्जिद टूटी होती तोह शायद सर्कार २-३ महीने मैं फिरसे यात्रा शुरू करवा देती ..!!! लेकिन चूँकि हिन्दू देवस्थल है , इसीलिए सेकुलरिज्म बोहोत बडे बडे रोडे अटका रही होगी शायद !!!

हर हर महादेव !!
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IBN7 help line 0120-4210241.
Please do report.
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फंसे हुए लोगों तक जल्द राहत पहुंचाई जाएं: सुप्रीम कोर्ट
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मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की 101 वजहें


इस देश में अगर कोई शख्स हर वक्त और सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है तो वो हैं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी। सियासी विरोधियों के लिए कट्टर दुश्मन तो समर्थकों के लिए जुनून की हद तक प्रेम। किसी के लिए भी सियासत के कोई मायने नहीं। अपनों के लिए विकास का प्रेम रह-रहकर उपजता है तो विरोधियों के लिए दंगों से बड़ा कोई दर्द नहीं, लेकिन हकीकत यही है कि महज एक राज्य का मुख्यमंत्री होने के बाद भी केंद्र की सत्ता में बैठा हर शख्स मोदी पर अपनी नजरें गड़ाए रखता है। देश का अगर एक खास तबका इस बात से डरता है कि भूल से भी मोदी इस देश के प्रधानमंत्री न बन जाएं तो इसी देश के एक बड़े तबके (सर्वे के हिसाब से) की ये पुरजोर ख्वाहिश है कि मोदी ही अगला प्रधानमंत्री बनें ताकि भ्रष्टाचार से पूरी तरह खोखले हो चुके और नेताविहीन इस देश को एक सशक्त नेता और विकास पुरुष नसीब हो सके। दोनों तरह के लोग हर मोर्चे पर सक्रिय हैं और तमाम कोशिशें कर रहे हैं। मोदी पर हो रही इस जंग को देखते हुए मैंने सैकड़ों लेख पढ़े और मुझे मोदी के दुश्मनों से ज्यादा उनके समर्थक दिखे। उन्हीं तर्कों के आधार पर इस लेख को लिखने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर वो कौन सी 101 वजहें हैं, जिसके आधार पर मोदी को इस देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। इसमें गुजरात दंगों और विकास समेत तमाम मुद्दों को मैंने उठाया है। इसे TOP-10 या TOP-20 की तरह समझकर न पढ़ें क्योंकि हो सकता है कई अहम तर्क आखिर में लिखें हों। इसलिए इसे समग्रता में TOP-101 की तरह लिया जाए।
1- मोदी इस समय देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। हाल के तमाम सर्वे से ये जाहिर है। यहां तक कि कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हों या सोनिया गांधी या फिर बीजेपी की तरफ से कोई भी नेता उनके आसपास नहीं टिकता।
2- प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी ज्यादा लोगों की पहली पसंद हैं। हाल के सर्वे से भी यही बात सामने आई है। नीलसल सर्वे के साथ किए गए एक न्यूज चैनल के सर्वे के मुताबिक मोदी को 48 फीसदी लोगों ने प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद बताया जबकि महज सात फीसदी लोगों की पसंद मनमोहन सिंह हैं। सर्वे में कोई दूसरा नेता मोदी के आसपास नहीं दिखता। वहीं एक न्यूज साइट पर कराए गए ओपन सर्वे में 90 फीसदी लोगों ने मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी पहली पसंद बताया।
3- मोदी आम लोगों से जुड़े नेता हैं। ये बात कई दूसरे नेताओं के लिए भी कही जा सकती है लेकिन सवाल प्रधानमंत्री पद के दावेदारों का है। दावेदारों की लिस्ट में जिन लोगों के नाम लीजिए। उनमें से कई तो पार्टी को मिलने वाली सीटों के आधार पर छंट जाएंगे (मसलन नीतीश कुमार) या फिर वो आम इंसान की तरह जिंदगी गुजारते हुए इतने ऊंचे ओहदे तक नहीं पहुंचे होंगे (मसलन राहुल गांधी) या फिर वो आम लोगों से जुड़े नेता नहीं होंगे (मसलन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह)।
4- मोदी चुनाव जीतकर सियासी मैदान में आते हैं, सिर्फ गुटबाजी या रणनीति बनाने में ही माहिर नहीं हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो मोदी न सिर्फ कभी भी, कहीं भी चुनाव जीतने का माद्दा रखते हैं बल्कि रणनीतिक तौर पर भी कुशल राजनीतिक कारीगर हैं। कम से कम गुजरात में न कोई राजनीतिक विरोध दिखता है और न ही पार्टी के भीतर कोई प्रभावशाली गुट हावी हो पाया है।
5- सियासी तौर पर मोदी की आभा को डिकोड करने की कोशिश करूं तो वो न सिर्फ अपने राज्य से बाहर देश के कई इलाकों से अपनी सीट जीतने का माद्दा रखते हैं बल्कि अगर घोषित तौर पर उन्हें प्रधानमंत्री का दावेदार बना दिया जाए तो अकेले दम पर कम से कम 100-150 लोकसभा सीटों पर असर डाल सकते हैं।
6- मोदी को पूरे देश में बड़ा जनाधार हासिल है। सिर्फ गुजरात ही नहीं देश के कई राज्यों का एक बड़ा तबका मोदी की ओर देख रहा है। मोदी जहां जाते हैं, लोगों और मीडिया के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।
7- चुनावी नतीजे मोदी की दावेदारी को और पुख्ता करते हैं। लगातार तीन बार उन्होंने गुजरात का चुनाव भारी बहुमत से जीता है। भारी विरोध और विपक्ष द्वारा पूरी ताकत लगाने के बावजूद मोदी का कद बढ़ा ही है।
8- मोदी खुद को गुजरात ही नहीं बल्कि देश के एक बड़े तबके में विकास पुरुष के तौर पर प्रोजेक्ट करने में कामयाब रहे हैं।
9- मोदी को यूथ से खुद को जोड़ने में कामयाबी मिली है। कई सर्वे से भी ये बात सामने आई है। इस समय देश का एक बड़ा तबका युवाओं का है, जिनके लिए बेरोजगारी, विकास, महंगाई और भ्रष्टाचार एक बडा मुद्दा है। मोदी इन मुद्दों को एक विजन के साथ पेश करते हैं। दिल्ली के SRCC कॉलेज में मोदी के भाषण में इसकी झलक दिखाई पड़ी।
10- मोदी महिलाओं में भी उतने ही लोकप्रिय हैं। Open/C-Voter के सर्वे से साफ है कि राहुल की तुलना में मोदी न सिर्फ पुरुष वोटरों की पसंद हैं बल्कि ज्यादातर महिलाओं ने भी मोदी पर ही भरोसा जताया है।
11- हर उम्र के लोगों में नरेंद्र मोदी ज्यादा लोकप्रिय है। Open/C-Voter के सर्वे में यूथ, बीच की उम्र के लोग और सीनियर सिटीजन्स के ऊपर सर्वे किया गया। मोदी सारे ग्रुप में ज्यादा लोकप्रिय हैं। हालांकि सोशल ग्रुपिंग, एजुकेशनल और इनकम ग्रुप में कहीं-कहीं वो कमजोर पड़ते नजर आते हैं लेकिन कुल मिलाकर औसत निकालें तो मोदी सब पर भारी नजर आते हैं।
12- इस समय के हालात में 2014 के चुनाव को देखते हुए एक तरफ जहां कांग्रेस खुलकर राहुल गांधी पर खेलने का फैसला कर चुकी है, वहीं बीजेपी की तरफ से मोदी की दावेदारी मजबूत है। अब अगर इन दोनों में ही तुलना की जाए तो राहुल की तुलना में मोदी ज्यादा लोगों की पसंद हैं। एक न्यूज चैनल के साथ कराए गए नीलसन सर्वे के मुताबिक देश की 48 फीसदी जनता ने अगर मोदी को पहली पसंद बताया तो महज 18 फीसदी जनता राहुल के साथ नजर आई। वहीं इंडिया टुडे पत्रिका ने भी 12,823 लोगों से बातचीत के आधार पर एक सर्वे किया। इसमें भी प्रधानमंत्री पद के लिए 36 फीसदी लोगों की पसंद मोदी थे, जबकि महज 22 फीसदी लोगों ने राहुल को अपनी पहली पसंद बताया। बाकी कई चैनलों के सर्वे का भी यही हाल है।
13- मोदी हर वक्त आम जनता से जुड़े रहते हैं। चाहे वो सोशल नेटवर्किंग साइट ही क्यों न हो, इंटरव्यू के लिए बड़ी आसानी से उपलब्ध रहते हैं। गुजरात जैसे राज्य का मुख्यमंत्री होने के बावजूद कॉलेज हो या यूनिवर्सिटी हर जगह के लिए न सिर्फ उपलब्ध होते हैं, बल्कि उनकी इस व्यस्तता के बावजूद सरकारी कामकाज में भी कोई फर्क नहीं पड़ता। जरा किसी दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री या किसी पार्टी के ही बड़े नेता को बुलाकर देख लीजिए। कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं।
14- मोदी में निर्णय लेने की क्षमता है, वो बिना किसी दबाव के फैसले ले सकते हैं। क्या प्रधानमंत्री के दावेदारों में किसी दूसरे नेता के लिए ये बात बोल सकते हैं?
15- सिर्फ जेडीयू को छोड़ दें सहयोगी दलों में किसी को भी मोदी को समर्थन देने में कोई दिक्कत नहीं है। एक अहम सवाल तो खुद जेडीयू को लेकर है कि आखिर 20 सीटों के साथ जेडीयू की हैसियत ही क्या है। बल्कि बिहार बीजेपी के लोगों की मानें तो नीतीश की वजह से बिहार में पार्टी दोयम दर्जे की हो गई है। अगर नीतीश को छोड़कर बीजेपी मोदी के भरोसे चुनाव लड़े, तो बड़ी आसानी से न सिर्फ पुरानी परफोर्मेंस को दोहरा सकती है बल्कि उससे ज्यादा सीट भी हासिल कर सकती है। यही नहीं अगर नीतीश बीजेपी से अलग रास्ते पर चलना चाहते हैं तो क्या जेडीयू 20 सीट दोबारा हासिल कर पाएगी।
16- खुद जेडीयू में मोदी को लेकर मतभेद हैं। मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व का आलम ये है कि जेडीयू सांसद जय नारायण निषाद ने ही न सिर्फ मोदी को खुला समर्थन दे दिया, बल्कि उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपने घर में दो दिनों का यज्ञ करवाया। इससे मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
17- बीजेपी में मोदी के नाम में एकमत बन सकता है। पार्टी के कई बड़े नेता खुलकर मोदी को प्रधानमंत्री का दावेदार बनाने की वकालत कर चुके हैं। क्या पिछले चंद सालों में किसी दूसरे नेता के लिए ये बात कही जा सकती है?
18- बीजेपी के भीतर भी मोदी के अलावा कोई दूसरा बड़ा नाम नहीं, जो जमीन से जुड़ा हो। यहां तक कि ज्यादातर सर्वे में आडवाणी भी मोदी से पिछड़ते नजर आए।
19- नरेंद्र मोदी को संघ का भी पूरा समर्थन हासिल है। ये सब कुछ जानते हुए भी कि मोदी की कार्यशैली संघ की कार्यशैली से बिल्कुल अलग है। खुद मोदी के नेतृत्व में गुजरात में संघ उतना प्रभावशाली नहीं रहा।
20- दंगों के दाग लगने के बाद भी मोदी अपनी छवि बदलने में कामयाब रहे हैं।
21- मोदी पर भ्रष्टाचार का कभी कोई आरोप नहीं लगा
22- महज एक राज्य का मुख्यमंत्री होने के बावजूद मोदी ने गुजरात मॉडल को पूरी दुनिया के सामने पेश किया, जिसकी हर तरफ वाहवाही हो रही है।
23- मोदी की धीरे-धीरे विदेशों में भी स्वीकार्यता बढ़ी है। यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन और अमेरिका के राजदूत ने इस बात को माना है।
24- मोदी को लेकर पूरी दुनिया की सोच बदली है। खुद बड़े देश सामने आ कर उनसे संपर्क साधने में जुटे हैं। ब्रिटेन के राजदूत गुजरात जाकर नरेंद्र मोदी से मिले। साफ है मोदी ने विकसित देशों के नुमाइंदों को भी झुकने के लिए मजबूर किया। अगर मोदी देश के प्रधानमंत्री बन जाएं तो इस देश की विदेश नीति कितनी मजबूत और ताकतवर होगी, आप समझ सकते हैं।
25- अमेरिका में वार्टन इंडिया इकोनॉमिक फोरम ने भले ही मुट्ठी भर लोगों के विरोध के बाद मुख्य वक्ता नरेंद्र मोदी के भाषण को रद्द कर दिया, लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ, उससे मोदी के प्रभाव का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर करने वाली सभी कंपनियों ने हाथ पीछे खींच लिए। सबसे पहले मुख्य स्पॉन्सर अडानी ग्रुप ने किनारा किया। इसके बाद सिल्वर स्पॉन्सर कलर्स और फिर ब्रॉन्च स्पॉन्सर हेक्सावेअर ने हाथ खींच लिए। यही नहीं इस ग्रुप से जुड़े लोगों ने भी शामिल होने से इनकार कर दिया। शिवसेना नेता सुरेश प्रभु ने फोरम में जाने से इनकार कर दिया। पेन्सिलवेनिया मेडिकल स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर डा. असीम शुक्ला ने इसके खिलाफ मुहिम छेड़ दी। वहीं अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट से संबद्ध और वाल स्ट्रीट जर्नल के स्तंभकार सदानंद धूमे ने ट्वीट कर वार्टन इंडिया इकोनॅामिक फोरम से दूर रहने का एलान किया। न्यूजर्सी में रहने वाले प्रख्यात चिकित्सक और पद्मश्री से सम्मानित सुधीर पारिख ने विरोध दर्ज करते हुए इस सम्मेलन से अपना नाम वापस ले लिया।
26- यही नहीं वॉल स्ट्रीट जनरल द्वारा कराए गए जनमत सर्वेक्षण में 94 फीसदी लोगों ने मोदी के आमंत्रण रद्द करने को गलत माना है। इसके बाद अमेरिका में फ्री स्पीच को लेकर एक मुहिम भी छेड़ दी गई। US India Business Council के चेयरमैन रॉन सोमर्स ने भी मोदी का कार्यक्रम रद्द करने पर नाखुशी जताई
27- गुजरात दंगों को छोड़ दें तो मोदी कभी विवादों में नहीं रहे, कभी आपत्तिजनक बयानबाजी नहीं की, जैसे कि इस समय तमाम दिग्गज नेताओं का मीडिया में छाए रहने का शगल बन चुका है।
28- मोदी एक सुलझे हुए नेता माने जाते हैं। वो दूरदर्शी हैं। किसी भी मुद्दे को लेकर उहापोह की स्थिति में नहीं रहते, जो कि एक अच्छे statesman की पहचान है।
29- मोदी का मीडिया के साथ भी बहुत मित्रतापूर्ण बर्ताव रहा है।
30- मोदी बीजेपी के इस समय करिश्माई नेता हैं। उनकी तुलना में बीजेपी के सेकेंड जेनरेशन का कोई नेता टिकता नजर नहीं आता है।
31- मोदी के प्रति शहरी और युवा मतदाताओं में आकर्षण है। मोदी इनका भरोसा जीतने में कामयाब रहे हैं।
32- मोदी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं। नई-नई तकनीक का न सिर्फ इस्तेमाल करते हैं बल्कि युवाओं को प्रोत्साहित भी करते हैं।
33- आम लोगों के बीच लोकप्रिय होने के अलावा उद्योगपतियों के बीच भी मोदी बेहद लोकप्रिय है। उद्योगपतियों के बीच अच्छी पैठ है। मोदी की तमाम बैठकों और कार्यक्रमों में जिस तरह से उद्योगपति खिंचे चले आते हैं, यही कोशिश तो विकास के नाम पर देश की तमाम सरकारें कर रही हैं।
34- नैनो के बंगाल से गुजरात जाने के दौरान मोदी ने विकास को लेकर अपनी एक बेहतरीन छवि बनाई। बंगाल में भले ही टाटा के इस प्रोजेकट को लेकर काफी हंगामा हुआ हो, लेकिन गुजरात शिफ्ट करने के दौरान न तो वहां के आम लोगों को दिक्कत हुई और न ही टाटा को।
35- सिर्फ उद्योगों के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि मोदी ने बाकी क्षेत्रों में भी विकास का काम किया है।
36- समग्र विकास को लेकर मोदी के पास अपना विजन है। कम से कम दिल्ली के एसआरसीसी कॉलेज में मोदी ने अपने लेक्चर के दौरान इसे बेहतरीन तरीके से पेश किया। इसमें खेती से लेकर उद्योग तक हर मुद्दे पर बात हुई।
37- 2002 के गुजरात दंगों को छोड़ दें तो गुजरात में इसके बाद कोई दंगा नहीं हुआ।
38- दंगों को लेकर भले ही नरेंद्र मोदी के दामन पर दाग लगाने की कोशिश की जाती रही हो, लेकिन हकीकत ये है कि अब तक किसी अदालत ने उन्हें दोषी करार नहीं दिया है। खासकर गोधरा कांड के बाद जिस तरह से प्रतिक्रिया में गुजरात दंगे हुए उसे रोकना वाकई मुश्किल था। भारत में बदले को लेकर दंगा फसाद पहले भी हो चुका है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जिस तरह से सिखों का कत्लेआम किया गया, उसके बाद खुद राजीव गांधी ने ही कहा था कि \"When a big tree falls the earth must shake\". हालांकि न तो इस स्टेटमेंट का समर्थन किया जा सकता है और न ही गुजरात दंगों को कभी जायज ठहराया जा सकता है। इस मामले में मेरी राय ये है कि दोषियों को भी सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए, लेकिन क्या एक खास परिस्थिति में दंगों को न रोक पाने की वजह से मोदी के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर सवाल उठाना सही है?
39- दंगों की वजह से गुजरात की न सिर्फ देश में बदनामी हुई बल्कि दूसरे शब्दों में कहें तो पूरी दुनिया में भारत की जमकर बदनामी हुई, लेकिन जिस तरह से पिछले चंद सालों में मोदी ने अपनी मेहनत की वजह से गुजरात की पहचान बदली। इसे मोदी की बड़ी सफलता माना जाएगा। क्या देश को ऐसे ही Statesperson की जरूरत नहीं है?
40- दंगों को लेकर भले ही ये आरोप लगते रहे हों कि मोदी ने इसे होने दिया और पूरा प्रशासनिक अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा, लेकिन हकीकत ये है कि मोदी न सिर्फ सक्रिय थे, बल्कि तमाम कार्रवाई सुनिश्चित कराने के अलावा उन्होंने 28 फरवरी 2002 को रक्षा मंत्री से भी बात की और तत्काल कार्रवाई करने की मांग की। रामजेठमलानी ने SUNDAYGUARDIAN में लिखे अपने लेख में इसे विस्तार से बताया गया है। साथ ही बताया है कि कैसे मोदी फौरन सक्रिय हो गए और दंगों को रोकने की भरपूर कोशिश की।
41- वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी ने तथ्यों के आधार पर ये भी सिद्ध करने की कोशिश की है कि गोधरा कांड के बाद दंगा स्टेट प्रायोजित नहीं था। लेख के मुताबिक दंगों के शुरुआती छह दिनों में 61 हिंदुओं और 40 मुस्लिमों की मौत हुई थी। जेठमलानी के तर्क आप SUNDAYGUARDIAN में छपे उनके लेख में पढ़ सकते हैं।
42- 27 दिसंबर 2002 को गोधरा कांड के फौरन बाद मोदी ने अपने सभी 70 हजार सुरक्षाकर्मियों को सड़कों पर उतार दिया। (The Hindustan Times Feb 28, 2002), गुजरात पुलिस ने शुरुआती तीन दिनों में 4,000 राउंड फायर किए। 27 हजार लोगों को गिरफ्तार किया। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन जॉन जोसेफ ने लिखा कि - 6 अप्रैल तक 126 लोग पुलिस की गोलियों में मारे गए। इसमें 77 हिंदू थे। साफ है मोदी के खिलाफ मुस्लिमों पर भेदभाव बरतने के आरोप गलत साबित होते हैं। बल्कि उस समय मीडिया में छपे कई लेख में तो गुजरात पुलिस के खिलाफ कुछ दूसरे ही आरोप लगे हैं...वो भी पत्रिकाओं के हवाले से।
43- मोदी को भले ही हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय के तौर पर प्रचारित किया जाता रहा हो, लेकिन मोदी के राज में कई मंदिरों को गैर कानूनी निर्माण की वजह से ढहा दिया गया। सिर्फ एक महीने के भीतर 80 ऐसे मंदिरों को गिरा दिया गया, जिसका निर्माण गैर कानूनी तौर पर सरकारी जमीन पर हुआ था। साफ है मोदी के मिशन का पहला नारा विकास है।
44- 2001 की जनगणना के मुताबिक गुजरात की आबादी का 9 फीसदी हिस्सा मुस्लिमों का है, यानी गुजरात में 45 लाख मुस्लिम हैं। लेकिन इनकी साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा 73 फीसदी थी। यही नहीं सेक्स रेशियो और कामकाज में जुटे आंकड़ों में ये राष्ट्रीय औसत से बेहतर हैं। जामनगर के एक आर्किटेक्ट अली असगर ने एक लेख में लिखा कि \"अगर लोग बेरोजगार होंगे, तो हिंसा होगी। अब चूंकि हर किसी काम मिल रहा है... तो दंगे क्यों होंगे।\"
45- समय गुजरने के साथ मुस्लिमों का भरोसा भी नरेंद्र मोदी पर बढ़ा है। Open/C-Voter सर्वे के मुताबिक मुस्लिमों की भलाई और साम्प्रादियक सद्भाव के मुद्दे पर भी अल्पसंख्यकों का भरोसा मोदी पर बढ़ता नजर आता है। दलित, नक्सल औऱ कश्मीर जैसे मुद्दे के हल के लिए तो लोगों ने मोदी पर खुलकर भरोसा जताया है।
46- भले ही देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोधी पार्टी और नेता मोदी को दंगों के आधार पर घेरने की कोशिश करते हैं, लेकिन खुद गुजरात में मुसलमानों के रुख में नरमी आई है और कई जगह पर मुस्लमों ने मोदी के लिए वोट किया है - ये कहना है खुद जमीयते उलेमा के महासचिव मौलाना महमूद मदनी का। इंडिया टुडे में छपे एक इंटरव्यू में मदनी ने यहां तक कहा कि गुजरात में मुस्लिमों ने बहुत तरक्की की है, बल्कि तथाकथित कुछ सेक्युलर सरकारों से ज्यादा तरक्की गुजरात के मुसलमानों ने की है।
47- मोदी को न सिर्फ अल्पसंख्यक लोगों का समर्थन धीरे-धीरे हासिल हो रहा है, बल्कि जरूरत पड़ने पर मोदी ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को टिकट देने में भी पूरा भरोसा जताया है। लोकल बॉडी चुनाव में जामनगर इलाके में मोदी ने 27 सीटों के लिए 24 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा कर दिया, इसमें 9 महिलाएं थीं। आश्चर्य की बात ये है सभी 24 मुस्लिम उम्मीदवारों ने यहां बीजेपी के कोटे से जीत हासिल की।
48- अल्पसंख्यक ही नहीं, बल्कि निचले तबके के लोगों का भी मोदी को समर्थन हासिल है।
49- मोदी ने कभी जात-पांत की राजनीति नहीं की, जो कि इस समय देश के कई बड़े राज्यों के लिए जहर के समान हो चुकी है।
50- मोदी ने कभी भी क्षेत्रवाद को प्रश्रय नहीं दिया और न ही राजनीति की, बल्कि हमेशा राष्ट्रीय सोच के साथ आगे बढ़े।
51- मोदी ने न सिर्फ क्षेत्रवाद की राजनीति को रोका बल्कि एक कदम आगे बढ़कर देश के हर राज्य के युवाओं को गुजरात आने के लिए कहा। एक तरफ जहां देश के हर राज्य में लोग दूसरे राज्य के लोगों का विरोध करते हैं। राजधानी दिल्ली भी इससे अछूती नहीं, वहीं मोदी ताल ठोककर ये कहते हैं कि गुजरात आकर रोजी रोटी कमाओ और देश का विकास करो।
52- क्षेत्रवाद से परे मोदी ने जिस तरह से गुजरात के लोगों की सोच बदली, ऐसे मौके पर मोदी देश की एक बड़ी जरूरत बन चुके हैं। खासतौर पर राष्ट्रीय एकता बहाल करने के लिए मोदी को हर हाल में देश की केंद्रीय सत्ता सौंपनी चाहिए।
53- मोदी गुजरात का मुख्यमंत्री होने के बाद भी खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने में कामयाब रहे हैं।
54- एक आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि मोदी की स्वीकार्यता पूरे देश में बढ़ी है। अब वो सिर्फ पश्चिम भारत ही नहीं बल्कि पूर्व, उत्तर और दक्षिण भारत में भी लोगों की पहली पसंद बन चुके हैं। Open/C-Voter के सर्वे में एक खास तथ्य ये सामने आया कि मोदी दक्षिण भारत में किसी भी दूसरे नेता के मुकाबले दोगुना ज्यादा लोगों की पसंद बन चुके हैं। जबकि हकीकत ये है कि दक्षिण भारत में कर्नाटक को छोड़कर बीजेपी का कोई जनाधार नहीं है। एक आश्चर्य ये भी है कि पश्चिम भारत में ही मोदी राहुल से एक प्वाइंट पीछे नजर आते हैं।
55- मोदी एक मजबूत सियासी नेता हैं। सियासत की जमीन पर तप कर आगे बढ़े हैं और उन्हें सियासत की बारीक समझ है। जाहिर है स्थायित्व और विकास के लिए इस देश को तपस्वी राजनीतिज्ञ की जरूरत है।
56- सियासी हलकों में और मीडिया के लिहाज से ये माना जाता है एक बड़ा नेता वो है, जिसके सबसे ज्यादा सियासी दुश्मन हों। इस देश में इस समय नरेंद्र मोदी इस लिस्ट में नंबर वन पर आएंगे जिनके सियासी दुश्मन सबसे ज्यादा होंगे, लेकिन इसके बाद भी मोदी कभी मैदान छोड़कर नहीं भागे, बल्कि मुकाबला करते हुए आगे ही बढ़ रहे हैं।
57- इस समय देश के सामने सबसे बड़ी विडंबना ये है कि मुश्किल की घड़ी में सर्वोच्च पद पर बैठे नेता सामने नहीं आते। खुलकर अपने बयान नहीं देते, बल्कि खुद को एसी कमरों में कैद कर लेते हैं। मोदी के सत्ता के शिखर पर बैठने से ये मुश्किल दूर हो जाएगी।
58- मोदी भले ही संघ की पसंद बन गए हों, लेकिन ऐसा नहीं है कि मोदी सिर्फ संघ के आदेशों का अनुसरण करेंगे, बल्कि अपने हिसाब से फैसले लेंगे। मोदी के अब तक के तेवर से साफ है कि वो वहीं काम करेंगे जो विकास के लिए जरूरी होगा।
59- मोदी एक्सपेरिमेंट करने में माहिर हैं, चाहे वो अपनी ब्रांडिंग हों, नई तकनीक से जुड़ाव हो या फिर विकास की कोई नई नीति। मसलन - गुजरात वाइब्रेंट, गूगल प्लस से लोगों से जुड़ना, राज्य में आयोजित कई तरह के महोत्सव। हकीकत ये है कि देश का विकास करना हो या फिर नई राह पर ले जाना हो तो एक्सपेरिमेंट करने ही होंगे। वर्ना पुराने रास्ते को पकड़कर तेज प्रगति मुश्किल है।
60- मोदी को अपने विरोधियों से निपटने का हुनर मालूम है। मसलन चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस ने वादों की झड़ी लगाकर एकबारगी मोदी के लिए मुश्किल पैदा कर दी, लेकिन मोदी के वादों ने कांग्रेस के दावों को हवा कर दिया। हालांकि इस हुनर का गलत इस्तेमाल होने की भी आशंका है, लेकिन ये डर तो हर किसी के साथ है।
61- मोदी को इसलिए भी प्रधानमंत्री बनना चाहिए क्योंकि वो सत्ता पक्ष में बैठे लोगों के भी पहले नंबर के सियासी दुश्मन हैं। इसके बाद भी वो न सिर्फ डटे हुए हैं, बल्कि गुजरात से ही केंद्र को सीधी चुनौती देते हैं।
62- मोदी पर भले ही गुजरात दंगों के आरोप हों, लेकिन मोदी ने कभी भी सांप्रदायिक बात नहीं की। उन्होंने खुद को विकास पुरुष के तौर पर पेश करने में सफलता पाई, जबकि हकीकत यही है कि आज तमाम पार्टियां खुलकर अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए नियम कायदे ताक पर रख देती हैं, लेकिन क्या कभी मोदी ने बहुसंख्यकों के समर्थन में ही कभी कोई सांप्रदायिक बात की?
63- मोदी ने ये वादा भी किया कि गुजरात में दोबारा ऐसे दंगे नहीं होने दिए जाएंगे। ये खुद जर्मन राजदूत ने मीडिया के सामने बयान में कहा। उदाहरण भी सामने है कि गुजरात में मोदी के शासन में दोबारा कोई दंगा नहीं हुआ। यही नहीं एक दूसरा उदाहरण दूं तो उत्तर प्रदेश में अखिलेश राज में एक साल के भीतर 100 से ज्यादा दंगे हुए। ये अब भी जारी है। क्या सिर्फ इसी वजह से अखिलेश को मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए या फिर उन्हें हमेशा के लिए प्रधानमंत्री पद से वंचित कर दिया जाना चाहिए। साफ है कि हालात को देखते हुए इसका आकलन करना चाहिए।
64- अगर सिर्फ विकास के नाम पर चुनाव लड़ा जाए तो मोदी सब पर भारी पड़ेंगे। अब ये देश तो तय करना है कि दंगे के विवाद को लेकर हर वक्त रोना रोया जाए और अदालती फैसले से पहले ही मोदी को दोषी करार दिया जाए या फिर विकास का सपना देख रहे लोग मोदी को एक मौका दें।
65- मोदी बहुत अच्छे मैनेजर हैं। देश के प्रधानमंत्री पद पर ऐसे शख्स का होना जरूरी है, जो सभी चीजों को एक साथ मैनेज कर सके।
66- मोदी के नेतृत्व में पार्टी में अनुशासन कायम है। हकीकत ये है कि कोई भी नेता तभी अच्छा काम कर पाएगा जब उसे पार्टी के भीतर ही गुटबाजी का सामना न करना पड़े। हर जगह ये परेशानी बहुतायत में दिखती है, लेकिन गुजरात में मोदी के नेतृत्व में ऐसा कभी नहीं हुआ। कभी कोई पार्टी के भीतर गुटबाजी करने के बाद भी पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचा पाया
67- मोदी सियासी विरोधियों को भी अपने करीब लाने का हुनर जानते हैं। ये सबको पता ही है कि किस तरह से केशुभाई ने गुजरात में मोदी को परेशान करने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार जब मोदी चुनाव जीते तो सबसे पहले केशुभाई का आशीर्वाद लेकर उनका दिल जीत लिया। इस देश का एक सच ये है कि जब कोई शख्स सत्ता के शिखर पर पहुंच जाता है तो अपने सियासी दुश्मनों ने गिन-गिनकर बदले लेता है, लेकिन मोदी की यही अदा उन्हें सबसे अलग बनाती है।
68- मोदी पारिवारिक दुनिया से दूर नजर आते हैं। सत्ता और रिश्ते का कभी घालमेल नहीं दिखता। ऐसे शख्स की खासियत ये होती है कि उसे धन दौलत से ज्यादा मोह नहीं होता। इस मामले में मोदी वाजपेयी जैसे नजर आते हैं।
69- मोदी की कोई संतान नहीं, सिवाय बुजुर्ग मां के कभी किसी रिश्तेदार से करीबी नहीं, जिसके लिए भ्रष्टाचार करने की नौबत आए। (अतिश्योक्तिपूर्ण लग सकता है आपको? लेकिन ऐसे लोग ही इतिहास बदलते हैं, जिसकी मिसाल मोदी देते आए हैं।)
70- मोदी की उम्र 62 साल है, यानी वो इतनी उम्र पूरी कर चुके हैं अच्छा खासा अनुभव जुटा सकें। साथ ही ऐसी उम्र भी नहीं जहां भारतीय राजनीति का मतलब बुजुर्ग नेता ही नजर आते हों। गौरतलब है कि कैबिनेट में मंत्रियों की औसत उम्र 64 साल है।
71- मोदी में आज भी वही सादगी बरकरार है, जो उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले मौजूद थी। वो भले ही चार बार से गुजरात के मुख्यमंत्री हों, लेकिन सादगी में कभी कोई कमी नहीं आई। उनकी मां आज भी उसी मकान में रहती हैं, जहां पहले रहती थीं।
72- इस चुनाव में बीजेपी की सबसे बड़ी मजबूरी ये है कि उसने पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए हिंदुत्व के मॉडल को अपना लिया है। एक समय जहां आडवाणी हिंदुत्व के नाम पर सबसे बड़ा चेहरा थे, वहीं आज मोदी से बड़ा दूसरा चेहरा नहीं है।
73- बीजेपी की दूसरी बड़ी मजबूरी ये है कि सिर्फ हिंदुत्व की चाशनी से काम नहीं चलेगा, बल्कि पार्टी ने इसके साथ-साथ विकास का कॉकटेल भी शुरू किया है और इन दोनों हुनर में मोदी से बड़ा दूसरा नेता नहीं। आडवाणी कभी हिंदुत्व और विकास को एक साथ मिला नहीं पाए। कभी वो हिंदुओं के हृदय सम्राट बने, तो अब विकास का नारा देते वक्त उन्होंने हिंदुत्व के मुद्दे को पीछे छोड़ दिया।
74- दुनिया की सबसे प्रभावशाली पत्रिका टाइम ने मार्च 2012 में नरेंद्र मोदी को अपने कवर पेज पर जगह दी। साथ ही ये लिखा कि मोदी का मतलब बिजनेस होता है। पत्रिका ने गुजरात के विकास के लिए न सिर्फ मोदी को श्रेय दिया, बल्कि ये भी लिखा कि मोदी एक दृढ़ और गंभीर नेता हैं, जो देश को विकास के रास्ते पर ले जा सकते हैं, जिससे ये देश चीन से मुकाबला कर सके। इससे मोदी की अंतरराष्ट्रीय तौर पर पहचान की झलक मिलती है।
75- मोदी आम लोगों से सीधे जुड़े होते हैं। उन्हें किसी बिचौलिए की जरूरत नहीं पड़ती। चाहे ये जुड़ाव सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिये ही क्यों न हो। आप उनकी साइट के जरिये उनसे सीधे सवाल जवाब कर सकते हैं। मिलने का वक्त मांग सकते हैं, अपने कॉलेज-स्कूल या संस्थान के लिए बुलावा भेज सकते हैं। क्या बाकी कोई मुख्यमंत्री इतनी सहजता से उपलब्ध हैं।
76- मोदी की एक बड़ी ताकत उनकी भाषा है। वो बहुत अच्छी हिन्दी जानते हैं। गुजराती होने के बाद भी हिन्दी भाषा में पूरे देश के साथ बहुत ही बेहतरीन तरीके से खुद को कनेक्ट कर सकते हैं, यानी देश की बहुसंख्यक आबादी की मुश्किलों को उनकी भाषा में सुन सकते हैं और आसानी से उसका जवाब दे सकते हैं।
77- नरेंद्र मोदी न सिर्फ अच्छे वक्ता हैं, बल्कि उन्होंने कई कविताएं लिखी हैं, साथ ही कई लेख लिखकर अपने विचार भी सामने रखते रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा, प्रकृति और अपने अनुभव को भी कई किताबों में समेटा है। इसका मतलब ये है कि वो एक मौलिक चिंतक है, जिसकी इस देश को सख्त जरूरत है।
78- आम लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने के मामले में IBN7 Diamond States Award में गुजरात को सर्वश्रेष्ठ राज्य का अवॉर्ड मिला। मोदी के नेतृत्व में ये बड़ा योगदान है क्योंकि देश में इस समय लोगों की सुरक्षा एक बड़ा विषय बन चुका है
79- समग्र कृषि उत्पादों के मामले में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुजरात को सर्वश्रेष्ठ राज्य का अवॉर्ड दिया। इसका मतलब है कि मोदी के राज में सिर्फ उद्योगों का ही विकास नहीं हुआ या फिर उद्योगपति ही खुश नहीं हुए बल्कि किसानों के लिए भी खुशखबरी आई। कृषि प्रधान इस देश को आखिर और क्या चाहिए।
80- इस समय देश की बड़ी समस्या महंगाई, भ्रष्टाचार और आर्थिक विकास है। इस मुद्दे पर भी हाल में ओपन पत्रिका और openthemagazine.com ने सर्वे कराया। साथ ही पूछा कि आखिर देश की कौन सी शख्सियत इन मुश्किलों से निजात दिला सकती है। इस मुद्दे पर भी लोगों ने राहुल के मुकाबले मोदी पर ज्यादा भरोसा जताया है।
81- गुजरात में भारत की सिर्फ 5 फीसदी आबादी रहती है जबकि 6 फीसदी एरिया है। लेकिन योगदान की बात करें तो \"Value of Output\" 16.10 फीसदी है, जबकि निर्यात का 16 फीसदी हिस्सा गुजरात से होता है। स्टॉक मार्केट कैपिटलाइजेशन में 30 फीसदी हिस्सा है। औद्योगिक उत्पादन में गुजरात का हिस्सा 16.2 फीसदी है। 10वीं पंचवर्षीय योजना में भारत का विकास दर 8.2 फीसदी तय किया गया, लेकिन गुजरात ने 10.2 फीसदी की रफ्तार से विकास किया। पहले साल में तो रिकॉर्ड 15 फीसदी के हिसाब से विकास हुआ। तटवर्ती क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में गुजरात का हिस्सा 54 फीसदी है। नेचुरल गैस के प्रोडक्शन में 50 फीसदी हिस्सा, भारत की रिफायनरी कैपेसिटी का 46 फीसदी और भारत के कुल क्रूड ऑयल आयात की 60 फीसदी फैसिलिटी गुजरात में है।
82- स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी मोदी ने भरपूर ध्यान दिया है, जिसकी देश-विदेश में भरपूर चर्चा हुई। WHO ने गुजरात के स्कूल हेल्थ कार्यक्रम की प्रशंसा की है। इसके तहत 1 करोड़ बच्चों की सेहत हर साल प्राइमरी स्कूल में चेक की जाती है। गर्भवती महिलाओं की देखरेख के लिए चिरंजीवी योजना की भरपूर तारीफ की गई है। सिंगापुर में एशियन इनोवेशन अवॉर्ड में इसकी पहचान पूरी दुनिया के सामने आई। UNICEF की रिपोर्ट \" State of World Children 2009 में भी इसकी भरपूर तारीफ की गई। यही नहीं गुजरात मेडिकल टूरिज्म के तौर पर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा है।
83- मोदी का मिशन \"Water for all\" विकास की एक नई कहानी बयान करता है। गुजरात में वाटर मैनेजमेंट बाकी राज्यों के लिए नजीर साबित हुआ है। चाहे वो बारिश के पानी को सहेजना हो, वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल हो, 21 नदियों को आपस में जोड़ना हो। राज्य के 14 हजार गांवों और 154 शहरों में पीने के पानी के लिए वाटर ग्रिड की स्थापना की गई है। इससे पहले जहां 4 हजार गांवों में टैंकर के जरिये पीने का पानी भेजना पड़ता था अब वो घटकर 185 गांव रह गए हैं। (3 साल पहले के आंकड़ों पर आधारित)
84- ज्योति ग्राम योजना की वजह से गुजरात देश का पहला राज्य बन गया जहां के सभी गांव में बिजली मुहैया करा दी गई है। ये नरेंद्र मोदी की कोशिशों का असर है।
85- आम लोगों को न्याय दिलाने में गुजरात की मोदी सरकार ने भी बेहतरीन काम किया है। उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर 2005 में गुजरात में 45 लाख केस पेंडिंग थे जो 2009 में घटकर 22 लाख हो गए। जबकि इन मामलों को आगे शून्य तक करने का इरादा था। सरकार ने 67 ईवनिंग कोर्ट का भी गठन किया, जिससे लोगों को वर्किंग आवर में दिक्कत न हो। लोक अदालत और नारी अदालत से भी इस काम में काफी मदद मिली।
86- भुखमरी निवारण की नीति के कार्यान्वयन को लेकर गुजरात ने तेजी से काम किया है। मोदी के समय ही पहली बार किसी राज्य ने लगातार चार बार इस मामले में पहला स्थान हासिल किया।
87- मोदी के समय में ही गुजरात देश का पहला राज्य बना, जहां कि नगरपालिकाओं और कॉरपोरेशन में ई-गवर्नेंस को पूरी तरह से लागू किया गया। अर्बन हेल्थ पॉलिसी को भी विस्तारपूर्वक लागू करने वाला गुजरात पहला राज्य है। देश का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में गुजरात पहला राज्य है, जहां के 590 विलेज काउंसिल कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े हैं। अब तक 13,693 पंचायत या विलेज काउंसिल में कम्प्यूटर मुहैया कराया गया है। साथ ही लोगों को कंप्यूटर सिखाया जा रहा है या सिखाया जा चुका है।
88- एक तरफ जहां देश के बाकी मुख्यमंत्री गिफ्ट के जरिये अपना खजाना भरने में लगे होते हैं, वहीं इस मामले में मोदी का कोई सानी नहीं है। मोदी ने अब तक मिले सभी गिफ्ट को महिलाओं की शिक्षा के लिए सरकारी कोष में जमा करा दिया है। सिर्फ शुरुआती 5 साल के रिकॉर्ड में ही मोदी ने करीब 287 लाख 37 हजार रुपये जमा कराए।
89- एक तरफ जहां बाकी मुख्यमंत्री अगले चुनाव की तरफ देखते हैं, वहीं मोदी अगली पीढ़ी की तरफ देखते नजर आते हैं, यानी मोदी की दूरदर्शिता का कोई मुकाबला नहीं है। शायद इसीलिए एक बार उद्योगपति अनिल अंबानी ने कहा था अगर गुजरात अलग देश होता तो ये अलग ही देशों की कतार में होता, जिसमें दुनिया के विकसित देश नजर आते हैं।
90- India Today - ORG MARG के सर्वे में पांच सालों में तीन बार नरेंद्र मोदी को नंबर 1 मुख्यमंत्री का खिताब दिया गया। ये किसी भी मुख्यमंत्री को दिया गया एक अनोखा सम्मान है
91- मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी ने गुजरात की तारीफ करते हुए लिखा कि - \"मैं गुजरात का कई बार दौरा कर चुकी हूं। खासकर 2002 के दंगों के दौरान भी। गुजरात की कार्य संस्कृति को देखकर मैं दंग रह गई। गांव हो या शहर - हर तरफ जबरदस्त सड़कें... यहां तक की सुदूर गांवों में भी बिजली और पीने के पानी की व्यवस्था थी। मैं खास तौर पर पंचायत और स्थानीय लेवल में स्वास्थ्य सेवाओं को देखकर चकित थी।\" इसके बाद बंगाल में 30 साल के लेफ्ट के शासन की तुलना करती हुई वो कहती हैं- \"ये हालत पश्चिम बंगाल के जैसी नहीं है, जहां गांवों और पंचायतों में भी बिजली नहीं है। सरकार की स्वास्थ्य परिसेवा का कहीं कोई अस्तित्व नजर नहीं आता।\"
92- मोदी पर ये आरोप लगता रहा है कि वो तानाशाह प्रवृत्ति के हैं। वो न तो आरएसएस की सुनते हैं और न ही उन्होंने पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी की सुनी। अब ये भले ही आरोप के तौर पर लग रहे हों, लेकिन यही मोदी की ताकत है। सवाल ये है कि मोदी के इस रुख से देश को कोई नुकसान हुआ। क्या संस्था के तौर पर बीजेपी तहस नहस हो गई? सवाल ये भी है कि क्या देश को ऐसे प्रधानमंत्री की जरूरत नहीं जो अपने हिसाब से फैसले ले क्योंकि इस समय सबसे बड़ी कमी ये है कि देश के बड़े नेता फैसले लेने से कतराते हैं। लेकिन गठबंधन वाली सरकार में कोई भी प्रधानमंत्री तानाशाह नहीं बन सकता।
93- मोदी के विरोधियों पर उनके खिलाफ लगातार दुष्प्रचार फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। वैसे हकीकत ये है कि मोदी के समर्थक अगर 1 फीसदी होंगे तो उनके दुश्मन कम से कम 50 गुना ज्यादा। इसके बावजूद अगर मोदी अपना वर्चस्व बचाने में कामयाब रहे हैं तो इसे उनकी खासियत और ताकत के तौर पर समझना चाहिए।
94- जस्टिस काटजू हाल के दिनों में मोदी को लेकर कट्टर विरोधी के तौर पर सामने आए हैं। प्रेस काउंसिल का चेयरमैन होने के बावजूद उन्होंने व्यक्तिगत विचार रखते हुए तीखी आलोचना की है। Firstpost.com पर अनिरुद्ध दत्ता ने काटजू के बयान को लिखते हुए कई सवाल खड़े किए हैं... अनिरुद्ध ने लिखा कि --
\"And in the survey conducted by Katju (what else can it be since he has so emphatically written about it), \"The truth today is that Muslims in Gujarat are terrorized and afraid that if they speak out against the horrors of 2002 they may be attacked and victimized. In the whole of India Muslims (who are over 200 million of the people of India) are solidly against Modi (though there are a handful of Muslims who for some reason disagree).\" So Katju has surveyed over 200 million Muslims. But then what explains BJPs victory in Muslim dominated constituencies in recent Gujarat elections as well as the recent municipal elections? Probably in Justice Katju\'s views, a silly question by an Indian idiot.
How many Muslims in Gujarat has Katju spoken to? During my visit to Gujarat in November, I spoke to two for considerable length of time. They certainly did not look terrorised and discussed politics quite freely. While Katju may not know the reason why some Muslims disagree, these two Muslims very clearly said that communalism has been a scourge of Gujarat, like the rest of India, for long and this is the first time that ten years of tranquillity and peace has been enjoyed in Gujarat. Both these individuals run businesses - one is Nadeem Jaffri who runs Hearty Mart enterprises, a retail venture and the other is Talha Sareshwala, CEO & MD, of Parsoli Motors. Of course, there are Muslims who would not discuss politics and would shy away from it. But even in the lanes of Juhapura, during an earlier visit, small entrepreneurs like tentwallahs happily said that business was booming since Gujarat was growing.
95- गुजरात में मानव विकास सूचकांक को लेकर भी सवाल खड़े किए जाते रहे हैं... लेकिन लेखक अनिरुद्ध दत्ता की मानें तो गुजरात में पिछले दस सालों में बेहतरीन तरीके से मानव विकास सूचकांक में बढ़ोतरी हुई है। अनिरुद्ध ने लिखा कि - Katju has criticised the human development indicators of the people of Gujarat and has rightly asked should they eat electricity, roads and factories. Like all of Gujarat\'s development has not happened in the last ten years, similarly Gujarat\'s human development indicators are not necessary a reflection of what has happened only in the last ten years. It\'s a legacy of the last sixty years of \"development\". Gujarat\'s human development indicators (HDI) in most cases is better than the all India average. While it is not the best in India, it is nowhere close to being the worst and its improvement in the last ten years is in most cases among the best. That is why it features among the top performing states in India Today\'s annual rankings consistently. However, there is no gain saying that the HDI indicators of India and Gujarat as well are appalling. When starvation deaths happen in Thane district, what can be more shameful than that for India.
96- आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में गुजरात ने देश में नंबर 1 स्थान हासिल किया। एक सर्वे के बाद Economic Freedom of the States of India (EFSI), 2012 नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इस सर्वे में आर्थिक स्वतंत्रता का पता लगाने के लिए तीन पैमाने का चयन किया गया। ये थे 1) सरकार का आकार, 2) कानूनी ढांचा और 3) संपत्ति के अधिकार, कारोबार और श्रम के रेग्लुलेशन का। तीनों पैमाने को मिलाकर गुजरात को नंबर एक स्थान मिला। जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में भारत का स्थान 144 देशों में 111वां है, जो कि पहले 76वां था। समझ लीजिए कि अगर नंबर 1 राज्य गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन जाएं तो क्या देश की किस्मत नहीं बदलेगी?
97- मोदी की सकारात्मक सोच उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है। वो विवादों में पड़ने की जगह खुद को मजबूती से एक मिशन में लगाते हैं। आज मोदी जहां भी जाते हैं, उनके भाषणों को लेकर नहीं, बल्कि विवाद खड़े कर चर्चा की जाती है कि कहां कितना विरोध हुआ। कैसे मोदी ने कांग्रेस को ललकारा, गांधी परिवार को चुनौती दी। हाल के दिनों में दिल्ली यूनिवर्सिटी के SRCC कॉलेज में उनके दौरे को भी लेकर यही बातें कही गईं, लेकिन LIVEMINT में संदीपन देब ने अनंत रंगास्वामी के हवाले से कई नई बातें सामने रखीं और 'मोदीवेशन' के बारे में बताया -
\"Anant Rangaswami has very perceptively pointed out in firstpost.com: \"Decode (Modi\'s) speech, and these are the words which pop out: Development, education, youth, progress, brands, india, success, profit and wealth creation, going abroad, pride, technology, brains and employment. That about covers all that the youth focus on.\" Dripping with positivity, Modi almost seemed like a professional motivational speaker, using pithy metaphors, humorous anecdotes and simple examples. One metaphor will surely be remembered for a long time. Holding up a glass of water, he said: \"Some say this is half empty, others say this is half full. I say this is full, half with water, and half with air.\" This is corny, but this is young populist corn at its best. In social media, a new word has already been born: Modivation.
He delighted his audience with the sort of acronyms that the young thrive on: P2G2 (pro-people good governance), 5F (farm to fibre to fabric to fashion to foreign), 3S (skill, scale, speed). He spoke of building India\'s largest convention centre in 162 days, of having 50% of India\'s gross domestic product under one roof in his Vibrant Gujarat summit, of having completely eradicated 120 cattle diseases in six years (SRCC\'s principal provided further proof of Modi\'s efficiency when he said that the college had invited 11 people, including five cabinet ministers, to address the students, and Modi\'s office was the first to reply; some replies were still awaited).\"
98- जस्टिस काटजू ने मोदी पर ये सवाल उठाया कि क्या गुजरात के कुपोषित बच्चे सड़कों, बिजली और फैक्ट्रियों को खाएंगे, लेकिन हकीकत ये है कि विकास के इन्हीं पैमाने पर चलकर गरीबी को दूर किया जा सकता है। यही नहीं जिस आधार पर काटजू ने आरोपों की झड़ी लगाई, उसका विकास भी गरीबों के लिए किया गया। कार्तिकेय ताना ने अपने एक लेख What Leftists won't tell you about Modi's 'pro-industrialist obsession' में विस्तारपूर्वक इसका जवाब दिया है। जवाब से सहमति-असहमति हो सकती है, लेकिन इसे सिर्फ इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि गरीबों का पेट भरना हो तो सड़क न बनाए जाएं, बिजली का विकास न हो और फैक्ट्रियों की स्थापना का विरोध किया जाए। लेख में कई योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो सिर्फ गरीबों के लिए गुजरात में चलाई जा रही हैं।
99- गुजरात में नरेंद्र मोदी के विकास के काम ने सभी दायरे तोड़कर उन्हें प्रशंसक दिए हैं। ऐसे ही एक प्रशंसक हैं दिग्गज कांग्रेसी नेता, पूर्व सांसद और इस सबसे बढ़कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रपौत्री सुमित्रा गांधी कुलकर्णी। सुमित्रा खुलकर मोदी के समय में हुए गुजरात में विकास के कार्यों की तारीफ करती हैं। सुमित्रा के मुताबिक मोदी के समय में गुजरात में काफी बदलाव आए हैं।
100- मोदी के खिलाफ भले ही जितने आरोप लगाए गए हों, उन्हें मौत का सौदागर भी कहा गया, लेकिन हकीकत यही है कि तमाम आरोपों और धमकियों के आगे कभी मोदी ने अपनी भावनाओं को नहीं खोया, बल्कि उन्होंने गांधीवादी तरीका ही अपनाया। दो मामलों में मोदी को जान से मारने की धमकी दी गई। 2002 में रज्जाक कासिर कासिम और 2006 में ओमर फारुख सिद्दीकी ने ये मेल भेजा था। इन मामलों में इन्हें सख्त सजा हो सकती थी, लेकिन मोदी ने न सिर्फ माफ किया, बल्कि कासिम के पूरे परिवार को बुलाकर अपनी तरफ से सफाई दी। केस खत्म करवाया और जिस कंपनी ने उसे नौकरी से निकाला था। उसे वापस रखने का आग्रह किया। आज के हालात की तुलना करें तो अगर कोई फेसबुक पर या मेल पर इस तरह की बात किसी बड़े नेता या मंत्री के खिलाफ लिख दें तो क्या हश्र होगा... अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। क्या देश को ऐसे गांधीवादी नेता नहीं चाहिए?
101- आम लोगों के बीच रिसर्च में ही नहीं, बल्कि एक मार्केट रिसर्च एजेंसी के सर्वे में भी मोदी सबसे आगे हैं। IPSOS एजेंसी के सर्वे के मुताबिक 43 फीसदी लोगों ने मोदी को पहली पसंद बताया है, जबकि 36 फीसदी लोगों ने राहुल को अपनी पहली पसंद बताया। साफ है विकास के नाम पर भी लोगों की पहली पसंद नरेंद्र मोदी हैं। खास बात ये है कि दक्षिण के कई शहरों में भी मोदी को ज्यादा लोगों ने पसंद किया है, जहां बीजेपी की पकड़ कमजोर है।
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Rupee hits all-time low of Rs. 59.94 = $1. Paid media asks con-gress to pay them in Dollars . #NDTV #ABP #IBN7.
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Hats Off to.... ITBP ( Indo-Tibetan Border Police) & Indian Army !!
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IBN7 ka utarakhand me fase logo ko nikalne or ITBP Ke jabano ka dhaneyebad,
IBN7 india ka very good news chenal....,
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